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माँ षष्ठी देवी पूजा विधि 
ऐसे दंपत्ति जिनकों संतान सुख नहीं मिलने में बाधा आती हो उन्हें  
दंपत्ति को नवरात्र काल में दोनों संध्याओं (सुबह+शाम) में माता षष्ठी के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । नवरात्र के पहले दिन संतान प्राप्ति की कामना से शालिग्राम शिला, कलश, वटवृक्ष का मूल अथवा दीवार पर लाल चंदन से षष्ठी देवी की आकृति बनाकर उनका पूजन ९ दिनों तक श्रद्धा विश्वास से करना चाहिए । 
 
माता का आवाहनम और ध्यान इस प्रकार से कीजिए- 
षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम् । 
सुपुत्रदां च शुभदां दया रूपां जगत्-प्रसूम् ।। 
श्वेत चम्पक-वर्णाभां रत्न-भूषण-भूषिताम् । 
पवित्र-रुपां परमां देव-सेनां परां भजे ।। 
 
आवाहन तथा ध्यान के बाद ।। 
" ऊँ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा "।। 
 इस अष्टाक्षर मंत्र का नौ दिनों तक ११०० बार तुलसी या लाल चंदन की माला से जप करें । जप से पूर्व, आवाहन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्राभूषण, पुष्प, धूप, दीप, कर हल्दी, कुमकुम, पुष्प, अक्षत, नैवेद्य आदि से माता का पूजन करें । जब मंत्र का जप पूरा हो जाए तो उसके बाद माता षष्ठीदेवी के नीचे दिये स्तोत्र का पाठ करें । माता की कृपा से नि:संदेह संतान की प्राप्ति होगी । 
 
षष्ठी देवी स्तोत्र 
नमो देव्यै महा-देव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:। 
शुभायै देव-सेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।। 
 
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:। 
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
शक्ते: षष्ठांश-रुपायै सिद्धायै च नमो नम: । 
मायायै सिद्ध-योगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नम:। 
सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम।। 
 
बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नम:। 
कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम। 
प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु। 
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा । 
हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि । 
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते । 
कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 
 
।। इति षष्ठी देवी स्तोत्र समाप्त ।। 
।श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ ।